इस समय सकारात्म रहने की जरूरत है ना कि दूसरो की आलोचना करने की। इस समय सकारात्म रहने की जरूरत है ना कि दूसरो की आलोचना करने की।
अभी नहीं फिर कभी हम निकलेंगे अभी रहने दो फिर कभी हम जीतेंगे। अभी नहीं फिर कभी हम निकलेंगे अभी रहने दो फिर कभी हम जीतेंगे।
सच के हत्यारे , झूठों के सरदार या गिरगिट के तरह रंग बदलता तानाशाह! सच के हत्यारे , झूठों के सरदार या गिरगिट के तरह रंग बदलता तानाशाह!
अनेकता में एकता यही हमारे देश की पहचान होनी चहिये बस अनेकता में एकता यही हमारे देश की पहचान होनी चहिये बस
लेकिन अभी तक इनमें से कोई भी आधिकारिक रूप से घोषित राष्ट्रीय खेल नहीं है। लेकिन अभी तक इनमें से कोई भी आधिकारिक रूप से घोषित राष्ट्रीय खेल नहीं है।
आज उसे अपने करनी पर पछतावा हो रहा था। आज उसे अपने करनी पर पछतावा हो रहा था।